मेरे बारे में

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I am a postgraduate in Zoology and having been in Medical profession for last 25 years. I am a hobby writer and journalist and published a few books viz., Uttarakhand Travel Journal( Both in Hindi and English languages as eBook editions and are avail with WWW.kdp.amazon.com .I have worked under several qualified MBBS, MD and M.S and BAMS doctors for several years and also run retail and wholesale pharmacy and small nursing home . I served as pharmacy supervisor at Kalptaru Pharmacy , HIHT, Jolley Grant,Dehradun for a brief period. A travel web site i.e., www.uttarakhandexpeditions.com is run by me. I am working on a bilingual medical guide (Hindi-English) book titled as Common Diseases and Treatment will be released shortly for the benefits of doctors, nurses, pharmacists, and medical students of all pathies (Allopathy, Ayurveda, Homeopathy and Unani). The blog is based on the book.

मंगलवार, 24 सितंबर 2019

Dengue

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Dengue ( Break Bone Fever) डेंगी या डेंगू या हड्डी तोड़ बुखार 
     
      यह एक वाइरस या विषाणु जनित रोग हैा इस रोग में एक विशेष प्रकार का बुखार आता है जिसमे कि हड्डी व जोड़ों में तीब्र दर्द विशेष कर रहता हैा बीमारी एपिडेमिक या महामारी के रूप में फैलती हैा इस विषाणु डेंगू के चार प्रकार होते हैं ा Dengue 1, Dengue 2 , Dengue 3 and Dengue 4. चारों ही प्रकार में आपस में काफी समानताये होती हैा  यह बीमारी ट्रॉपिकल क्षेत्रों में एंडेमिक रूप में विध्यमान रहती है. Aedes ageptie (एडिस एजिप्टी) मचछरों की मादा या फीमेल के काटने से होता हैा इन्क्यूबेशन पीरियड (Incubation Period - The duration between infection and apperaace of symptoms of a disease ) अतार्थ  बीमारी के संक्रमण और उसके  लक्षण के प्रकट होने के  काल को कहा जाता हैा Incubation period 3 से14 दिनों का होता है. यदि किसी को एक प्रकार के डेंगू हो और वो रिकवरी कर ले, तो फिर उस व्यक्ति को उसी प्रकार के डेंगू से प्रतिरोधक क्षमता (Immunity)  विकसित हो जाती है ा हालाकि दूसरे  प्रकार डेंगू से पीड़ित हो सकता है अथार्थ एक प्रकार के डेंगू से एक बार ही पीड़ित हो सकता है. ये बीमारी  2 to 7 दिनों तक रहती  है. बीमारी तीन चरणो मे प्रकट होती है.
लक्षण (SYMPTOMS)
                           बीमारी तीन चरणों में दृष्टि गोचर होती हैा 
1.  संक्रमण फैज (Trivasion Phase or Febrile )
     बीमारी  अचानक शुरू होती  हैा तेज बुखार 102 - 105 degree F तक रहता है.  शरीर में जकड़न (Rigor), सारे शरीर में तेज दर्द, सिर दर्द तेज , आँखों में दर्द , आँखे लाल होना, कमर, पावों की पिंडलियों , जोड़- जोड़ व हड्डियों में तेज दर्द , रोगी हिलने डुलने पर भी दर्द की शिकायत करता है. चेहरे, आँखों व सारे शरीर में उत्तेजना (Flushing), भूख ख़त्म होना , शरीर पर रशेस निकलना, ज्यादा गंभीर स्थिति में मरीज दर्द के कारण बिस्तर पकड़ लेता है. इसीलिए इस बुखार को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं। जीभ परत चडी ( coated), जी मिचलाना,उलटी आना(Nausea and Vomiting), अमूमन कब्ज (constipation) ,  कभी-कभी कभी नाक से खून निकलना (Epistaxsis), कभी - कभी आहार नाल से खून निकलना( Haemetemesis), नींद न आना , बैचेनी , उदासी , मायूसी (Depression), त्वचा सुखी व गर्म , शुरू में दिल की धड़कन गति तेज व फिर धीमी होना, कभी कभी लिम्फ ग्रंथियोँ मे सूजन आना ा गले में. टॉन्सिल्स बढ़ल सकते हैं.कुछ मरीज खुजली की शिकायत कर सकते है, लिवर बढ़ा हो सकता है. 
2. मध्य चरण  (Interval  or Critical  Phase )
         दूसरे चरण में बुखार का लगातार  रहना व फिर बुखार का कम हो जाना या फिर समाप्त हो जाना. 4 या  5 वे दिन बुखार का टूटना , पसीना आना , नाक से खून निकलना , डायरिया। इस फेज में प्लेटलेट्स का घटना। इस दौरान प्लाज्मा का लीकेज करना , दूसरा चरण क्रिटिकल होता है. इसमें विशेष रोगी का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है.ये स्थिति  एक या दो दिन तक रहतीहै. 
  3.तृतीय चरण  रिकवरी फेज (रिकवरी फेज)
          ये स्थिति 5,6, या 7 दिनों तक लगातार रहती है. दो से तीन दिनों तक रहती है. प्लेटलेट्स का बढ़ना, रोगी ठीक महसूस करता है. मरीज की स्थिति सुधरने लगती है.

Blood Test रक्त की जांच   
  CBC ( Complete Blood Count)             Reference Value
  Hb (Haemoglobin)                                  12-18 gm 
  TLC Total Leucocyte Cout)                       4000-11000
  DLC (Dufferential Leucocyte Count )
  Neutrophil                                              45-75
  Lymphocyte                                            20-45
  Eosinophil                                               1-6
  Monocyte                                                1-10
  Basophil                                                  00-1
   Stab Cells
  RBC ( Red Blood Cell Count)                      4.2-5.4
  HCt(Haemocrit) PVC                                  40-54
  MCV( Mean Corp Volume)                          80-99.9
  MCH( Mean Corp Hb)                                27-31
  MCHC(Mean Corp Hb Conc.)                      33-37
  Platelet Count -1.50Lakh/Cmm                  4 Lac/cum
  Red Cell Distribution Width (RDW)             11.5-14.5
 Dengue Profile 
      खून की जांच करने पर खून में सफ़ेद रक्त ककणिकाओ का घटना Leukopenia, Lymphocytes (Lymphocytopenia), Eosinophilia, प्रमुख रूप से प्लेटलेट्स की संख्या जो कि  150000-450000 तक होती है की संख्या में कमी होन. ये रोग की एक गंभीर अवस्था होती है. 80000 तक और कभी कभी ये बहुत तेजी से घटते है और 30000 या उससे नीचे गिरने पर ही platelets और होल ब्लड चढाने की नौबत आ जाती है.  यदि प्लेटलेट्स  घट रहे है तो उसको आब्जर्व करने की आवश्यकता है। ऐसे में रोगी को हॉस्पिटल में भर्ती करना जरुरी हो जाता है.  प्लेटलेट काउंट हर तीसरे दिन करने की आवश्यकता होती है ताकि मरीज की स्थिति पर नियन्त्र रहे.
Immunology -Serology 
Dengue Virus IgG Antibody
Dengue Virus IgM Antibody
Dengue NS1 -
Platelet Count तीसरे दिन  या चौथे  करवाए 
उपचार (Treatment)
 लक्षण आधारित उपचार (Sypmptomatic Treatment)
 विस्तर में आराम करना 
 रोगी को डार्क रम में रखना 
 शांत वातावरण (Peaceful Atmoshphere ) 
 रोगी को मचछरदानी का उपयोग करवाये 
 शुरुवात में जब बुखार 102 से 105 के बीच हो तो मरीज पर ठंडी पानी की पट्टी रखे( Cold Songing ) ( Cold sponging is the best remedy to lower temperature) . यहाँ तक हो सके किसी भी दवा जैसे Disprin, Cosprin, Brufen, Combiflam, Aceclopara, Diclopara (All NSAID) का उपयोग बिलकुल भी न करे ा बहुत हो तो केबल plain paracetamol 8 hourly दें. कोल्ड स्पोंजिंग से ही तेज बुखार भी उतर जाता है.  क्योंकि डेंगू में रोगी का लिवर भी अफेक्टेड होता है, ऐसे में पेरासिटामोल भी न दे कर बुखार को cold sponging से नियंत्रित किया जा सकता है.
रोगी को अधिक से अधिक मात्रा में पानी दे. 
मौसमी , नारंगी, सेब ,अनार , पपीता का फल व जूस दे। 
नारियल पानी  का सेवन अछछा रहता है. 
बाकी उपचार अपने फिजिशियन पर छोड़ दें ा 
आयुर्वेद में गिलोय घन बटी दो दो गोली तीन बार 
पापाया या पपीते के पत्तों का रस तीन बार 
तुलसी तीन बार 
Platimax Cap/Tab)  TDS
Tab Viatamin C   OD
Tab Folic Acid  OD
     यदि उलटी आदि हो रही फिर आई वी फ्लूइड की जरूरत होती हैा 
यदि मरीज को लगातार हाइड्रेट किया जा रह है और पानी  आदि नियमित व बैलेंस डाइट दी जाये तो डेंगू को आराम से घर पर ही उपचार अपने डॉक्टर की  निगरानी में  किया जा सकता है. यदि रोगी की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है तो बीमारी जल्दी ढीक हो जाती है.  डाइट बैलेंस व सुपाच्य हो. तला , भुना , लाल मिर्च , अचार, भारी गरिष्ठ भोजन आदि न दे.  

डेंगू  बीमारी को पैनिक के रूप में न ले. धीरज रख कर सामान्य रूप से इलाज कर निदान करवाए. 












         

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