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I am a postgraduate in Zoology and having been in Medical profession for last 25 years. I am a hobby writer and journalist and published a few books viz., Uttarakhand Travel Journal( Both in Hindi and English languages as eBook editions and are avail with WWW.kdp.amazon.com .I have worked under several qualified MBBS, MD and M.S and BAMS doctors for several years and also run retail and wholesale pharmacy and small nursing home . I served as pharmacy supervisor at Kalptaru Pharmacy , HIHT, Jolley Grant,Dehradun for a brief period. A travel web site i.e., www.uttarakhandexpeditions.com is run by me. I am working on a bilingual medical guide (Hindi-English) book titled as Common Diseases and Treatment will be released shortly for the benefits of doctors, nurses, pharmacists, and medical students of all pathies (Allopathy, Ayurveda, Homeopathy and Unani). The blog is based on the book.

शुक्रवार, 1 नवंबर 2019

Swine Flu

Swine Flu स्वाइन फ्लू 
         स्वाइन फ्लू के मामले में एक छोटी सी लापरवाही भी घातक सिद्ध हो सकती है. वायरल होने के कारण इसके प्रारंभिक लक्षण सामान्य मौसमी बीमारियों की तरह होते है. इसकी पहचान सामान्य रूप से नहीं हो पाती है. सामान्यतया जुकाम खांसी के साथ ही बुखार की शिकायत रहना ा सामान्यतया शरीर की प्रतिधिरोधक क्षमता बीमारी से लड़ती है. एलाइजा टेस्ट इसकी सही जाँच है और इसका उपचार आराम से किया जा सकता है. साधारण मास्क इसमें काम नहीं करता है ा इसके लिए एक विशेष मास्क जिसे H1N1 मास्क कहा जाता है, उपयोग में आता है. यही इसके वायरस से बचाव कर सकता है. इसकी लेयर से वायरस फ़्लिटर नहीं हो सकते हैं. दुनिया में 95 प्रतिशत लोग दिन में औसतन चार बार छींकते है. इससे अधिक बार छींकना जुकाम या एलर्जी का संकेत माना जाता है. सामान्य फ्लू और जुकाम दोनों एकही तरह के होते हैं और दोनों ही वायरल इन्फेक्शन की वजह से होते हैं ा सामान्य जुकाम, फ्लू और स्वाइन फ्लू में अंतर करना कठिन होता है. सामान्य जुकाम एक आम बीमारी है और किसी इलाज की आवश्कयता नहीं होती है. फ्लू में और स्वाइन फ्लू में इलाज़ की आवश्यकता होती है. ये ध्यान रखे कि स्वाइन फ्लू एक गंभीर बीमारी है और इसमें समुचित इलाज की जरुरत होती है.स्वाइन फ्लू एक रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट की  वाइरस जनित बीमारी  है. यह बीमारी ठण्ड के मौसम में बरसात के बाद और अक्टूबर माह के अंंतिम सप्ताह या फिर नवम्वर माह के प्रथम सप्ताह में शुरू होने लगती है. बदलते मौसम के साथ जब डेंगू का प्रभाव समाप्त  होने लगता है, तो फिर स्वाइन फ्लू की दस्तक शुरू होने लगती है साथ ही H1N1 Virus तेजी से एक्टिव होने लगता हैा  स्वाइन फ्लू सामान्य इन्फ़्लुएन्ज़ा या कॉमन वायरल फीवर की तरह ही होता है. स्वाइन फ्लू का वायरस या विषाणु चार  प्रकार का होता है. A, B , C and D. ह्यूमन  इन्फ़्लुएन्ज़ा  या फ्लू तीन प्रकार  A ,B व C होता है ा  ह्यूमन इन्फ्लुएंजा A and B सीजनल एपिडेमिक के रूप में हर वर्ष फैलता हैा  A Category में मामूली खांसी व सामान्य बुखार आता है जो कि पेरासिटामोल टेबलेट से ठीक हो जाता है. दूसरी  केटेगरी B में लक्षण  खांसी ,  बलगम बनना, तेज बुखार ,जाड़ा  लगना , नाक से पानी बहना, सिर में दर्द , मांस पेशियों  व बदन दर्द इत्यादि फीवर के लक्षण दृष्टिगोचर होते हैं.  इसे ब्लड टेस्ट से कन्फर्म किया जाता है कि स्वाइन फ्लू है या नहीं. स्वाइन फ्लू  कन्फर्म होने पर विशेष एंटी वायरल औषधी Tamiflu डॉक्टर की सलाह से दी जाती है. तीसरा प्रकार है c category जो कि  पहले से ही रोग से  पीड़ित व्यक्तियों यथा दिल, किडनी, लिवर, स्वांस , अस्थमा  आदि से को अपने चंगुल में लेता है. यह एक क्रिटिकल स्टेज होती है जिसे हॉस्टिपल में ही उपचार किया जाता है.
स्वस्थ व्यक्तियों में स्वाइन फ्लू  वायरस का अटैक ज्यादा प्रभाव नहीं डालता है और लगभग एक सप्ताह में ही ये डॉर्मेंट स्टेज में चला जाता है. स्वाइन फ्लू का वायरस 6 माह से लेकर 5 साल के बच्चे, गर्भवती महिलाओ, लम्बी या क्रोनिक रोग से ग्रस्त मरीजों आदि को अपने चंगुल में आसानी से ले लेता है.
             हालाँकि स्वाइन फ्लू का वैक्सीन  उपलब्ध है और इसको लगाने के बाद  भी  खतरा 70 प्रतिशत तक ही कम होता है. स्वाइन फ्लू का वायरस सांस के माध्यम से ड्रॉपलेट संक्रमण के द्वारा शरीर में पहुँचता है. इससे बचने के लिये छींकते व खांसते हुए नाक व मुँह को कपडे या फिर विशेष प्रकार के H1N1 Mask का प्रयोग किया जाता है.  सामान्य मास्को से इसका वायरस नहीं रुकता है व शरीर में पहुँच जाता है. सफाई का विशेष ख्याल  की आवश्यकता होती है. छींकने के बाद हाथो को अच्छी तरह से धोना चाहिए।  किसी अच्छे sanitizer का उपयोग करवाये. आपके आस पास कोई छींक रहा हो तो मुँह को ढकने की सलाह दे. बीमार व्यक्ति के संपर्क से दूर रहे, ग्रसित व्यक्ति से हाथ आदि न मिलाये. दूरी बना कर रखें.
          H1N1 इन्फ्लुएंजा या स्वाइन फ्लू वास्तब में चार वायरस या विषाणुओ के संयोजन के कारण  होता है. आमतौर पर इस विषाणु के वाहक सूअर या pig (स्वाइन) होते है. इसीलिए इसे स्वाइन फ्लू कहा जाता है. इसमें म्युटेशन होने से ये अब और घातक  हो गया है. यह सर्दियों में महामारी के रूप में फैलने लगा है. यह एक से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है. इस वायरस का एक अन्य स्ट्रेन बनने से कोई भी इससे अप्रावित नहीं रहा है.सभी लोग इसके संक्रमण के लिए संवेदनशील हैं ा
सावधानी 
          खांसते  और छींकते हुए मुँह और नाक को कपडे या रुमाल  से ढक कर रखने की सलाह दे. सांस लेने मे व ३ -४ दिनों तक बुखार रहने  की शिकायत होती है. हाथ व नाक को साफ़ रखाने की सलाह दे. नियमित अंतराल पर हाथो को धोने की सलाह दे. एल्कोहॉल युक्त sanitizer का उपयोग करने को कहे. अचछे मास्क का उपयोग। यदि टिश्यू पेपर का उपयोग कर रहे है तो उसे उपयोग के बाद डस्टबिन में दाल दे।  बच्चों  में ठण्ड में सांस लेने में दिक्कत होती है ा जकड़न के साथ निमोनिया की शिकायत हो सकती है. इसका बच्चों  में खास ख्याल रखे. एलाइज़ा टेस्ट करवाये.
उपचार 
        रोगी को पूरा आराम करने की सलाह दे. अलग  रूम में रोगी को रखे. डिस्टर्ब न करे.
शरीर में पानी की कमी न होने दे ा नींबू पानी, ग्लूकोस का पानी, लिक्विड ओ आर एस , नारियल पानी, साधारण पानी आदि तरल पदार्थ देते रहने की सलाह दें।  सूप पीने को दे. पर्याप्त हाइड्रेशन का ख्याल रखे। दर्द व बुखार के लिए तब Paracetamol दे.  एलाइजा टेस्ट के बाद ही आवश्यक  एंटी वायरल दवा का प्रयोग किया करे. मरीज़ को हॉस्पिटल में एडमिट करने की सलाह दे.
           
            फ्लू और स्वाइन फ्लू में अंतर जानना जरूरी है. दोनों में ही शुरुवात एक जैसे ही होती है. जिसमे जुकाम या नाक बहना, सिर दर्द, गले में खरास , खांसी, सांस लेने में तक़लीफ़ होना, भूख में कमी, दस्त या उल्टी और बुखार के लक्षण शामिल होते हैं ा
           स्वाइन  फ्लू का संक्रमण तेजी से फैलता है और व्यक्ति तेज बुखार, शरीर दर्द और दूसरे लक्षण महसूस करता है जबकि साधारण फ्लू के लक्षण धीरे- धीरे उभरते हैं ा स्वाइन फ्लू वायरल जनित रोग है जिसे H1N1 वायरस कहा जाता है. यह वायरस सुअरों की स्वांस नली को संक्रमित करता है और फिर यह मनुष्य में संचारित हो जाता है. स्वाइन  का वायरस लगभग 6 फ़ीट की दूरी से दूसरे लोगों को संक्रमित कर सकता है.
बचाव 
           सबसे बेहतरह उपचार  तो इसका बचाव है. इसके लिए सीजनल फ्लू शॉट  यानि कि वैक्सीनेशन किया जा सकता है. यह वैक्सीन दो - तीन तरह के इन्फ्लुएंजा वायरस से बचाव करती है जिसमें H1N1 Virus भी शामिल है. वैक्सीन इंजेक्शन या फिर नाक के स्प्रे के रूप में उपलब्ध है. इसके अलावा बार -बार हाथों को धोना, गंदे हाथों को चेहरे पर न लगाना, दिन में तीन चार बार नमक पानी के गरारे करना, दिन में कम से कम एक बार गुनगुने पानी में  नमक डाल कर नाक को उससे साफ़ करने की सलाह दें ा पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ रोगी को दे. साथ ही विटामिन c युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन की राय ा

निदान 
      इसका निदान आरटी पीसीआर तकनीक  द्वारा निदान किया जाता है. इसमें साधारण  रक्त परीक्षण, सीने का एक्सरे , नाक व गले के स्वाब( Nasopharyngeal Swab)का प्रयोगशाला में अध्यन हैा  स्वाब नमूनों का परिक्षण कर 15 से 30 मिनट में यह बताया जा सकता है कि किस प्रकार का फ्लू है. आम तौर पर किसी के 4 या 5 दिनों तक बीमार रहने पर उसका परीक्षण किया  है. मोटे तौर पर 4 या 5 घंटो में स्वाइन फ्लू का पता लगाया जा सकता है.
उपचार  
    स्वाइन फ्लू का इलाज रोगी की चिकत्सीय पृष्ठभूमि और लक्षणों के आधार पर किया जाता है. इसके लिए टेमीफ्लू एंटी वायरल दवा से किया जाता है.
जुकाम , मौसमी  फ्लू और स्वाइन फ्लू में अंतर 
बुखार - जुकाम में बुखार नहीं  है. फ्लू  में बुखार होता है और स्वाइन फ्लू में  80% लोगों  में बुखार  100 degree F से अधिक होता  है /
जुकाम में  खांसी और कफ होता है , मौसमी फ्लू में  खांसी  होती  है. स्वाइन फ्लू में सूखी  खांसी होती  है ा 
जुकाम में हल्का दर्द होता है, फ्लू में सामान्य दर्द रहता है ,  स्वाइन फ्लू में शरीर में तेज  दर्द होता है.
जुकाम में नाक बंद रहना, फ्लू में नाक बहाना , स्वाइन फ्लू में नाज बंद नहीं होती है ा
जुकाम में ठण्ड नहीं लगती है.  , फ्लू में सामान्य ठण्ड लगना, स्वाइन फ्लू में काफी ठडं लगती है.
जुकाम में हल्की थकान , फ्लू में सामान्य थकान , स्वाइन फ्लू में ज्यादा थकान लगती हैा
जुकाम में छीके काफी आती हैं , फ्लू में छीके  आती है.  स्वाइन फ्लू में छींके नहीं आती हैं ा
जुकाम में सर दर्द नहीं होता है. फ्लू में सामान्य  सिऱ दर्द, जबकि स्वाइन फ्लू में तेज सिर दर्द होता है.
जुकाम मे गले में खरास होती है , फ्लू में सामान्य खरास होती है वही स्वाइन फ्लू में खरास नहीं होती है.
जुकाम में सीने में दिक्कत रहती है. फ्लू में असहज रहती है , स्वाइन फ्लू में सीने में काफी दिक्कत रहती है.

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